विशेष संवाददाता लोकेश मालवीय : बुलंद हौसलों के साथ असामाजिक तत्वो ने पुलिस को टारगेट करना सुरु कर दिया है । क्षेत्र में पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट के मामले आम बात हो चली है । अपराधियो पर कार्यवाही होने से पहले आकाओं के फोन पुलिस को ॐ शांतिः का मंत्र दे देते हैं । जिसके चलते रोज़ नये अपराधियो की उत्तपत्ति हो रही है । अपराधियो का ग्लेमर भी ऐसा की सुरुआत पुलिस की पिटाई से ,अबलो । पिछले एक साल से शहर व आसपास क्षेत्र में पुलिसकर्मियों के साथ अभद्रतापूर्ण व्यवहार,मारपीट जैसे मामले बढ़ते जा रहे हैं । आरोपियों पर कार्यवाही नही होती । जिसके चलते अपराधी पुलिस से झूमने को उतारू हैं । पुलिस टारगेट है ।पिछले 1 साल में पुलिसकर्मियों पर हमले,मारपीट की बात करे तो ये रहे बहुचर्चित मामले ।
करीब 6-7 माह पूर्व आरक्षक नीरज अग्रवंशी पर सांडिया रोड क्षेत्र में फरार आरोपी को पकड़ने के दौरान आरोपी ओर उसके साथियों ने लाठी डंडे से हमला कर दिया,यहां असहाय आरक्षक भागने को मजबूर हो गया । थाना स्टेशन रोड के अंतर्गत आने वाले मटकुली चौकी पर गश्ती के दौरान आरक्षक रामानन्द यादव को देर रात पूछताछ करने पर एक युवक ने सिर में लट्ठ दे मारा ,गम्भीर घायल आरक्षक कोमा में चल गया ।आज भी आरक्षक की उपचार चल रहा है । हाल की ताजा घटना, शहर से सटे हतवास मंडी टोला में तलवारबाज़ी की सूचना पर 100 डायल पर तैनात आरक्षक रामवीर सिंह के साथ झगड़ में घायल युवक को अस्पताल ले जाने पर आरोपी ओर उसके परिजनों ने मारपीट करना सुरु कर दिया । स्तिथि को देख मौके पर 108 के ड्राइवर ने बीचबचाव किया । जिसके बाद दूसरे ही दिन 108 ड्राइवर को बीचबचाव की सजा मिली और आरोपियों के परिजनों ने सरेआम लाठी डंडों से हमलाकर 108 चालक मनीष मंडलोई को उसी के घर के सामने लहूलुहान कर दिया गया। इन वारदातों से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि अपराध और अपराधियों पर पुलिस का बस अब नही रहा । एक ओर जिले के पुलिस कप्तान अपराध और अपराधियों पर सख्त कार्यवाही के निर्देश देते हैं, वही दूसरी ओर अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाने वाले पुलिसकर्मियों पर अपराधी भारी पड़ रहे हैं ,अंकुश लगे भी तो कैसे। पूरे मामले में गम्भीर बात ये है कि पुलिसकर्मियों के साथ घटनाओं के बाद पुलिस का एक्शन ओर रिएक्शन सामान्य रहा है । जिसके चलते कहीं न कहीं पुलिस कर्मियों पर असुरक्षा का भाव स्पष्ठ तोर पर देखा जा सकता है ।लेकिन मामले की तहक़ीक़ततहक़ीक़ात कौन करे की आखिर क्या होता है जिसके चलते लोग पुलिसकर्मियों पर हाथापाई,मारपीट,हमले जैसी वारदाते कर रहे हैं । क्या ये लोग पुलिस प्रताड़ना के शिकार हैं या राजनीतिक संरक्षण का असर अब पुलिस के खिलाफ देखा जा रहा है ।