होशंगाबाद: गौ धन को हमारे धर्म ग्रथों में सबसे पहला स्थान प्राप्त है गौ माता तैतीस कोटि देवताओं का चलता फिरता मंदिर है और आज वही गौमाता कूड़ा करकट कचरे में अपना भोजन तलाशती फिरती है।जिस प्रकार भुना हुआ अन्न कभी अंकुरित नही होता उसी प्रकार जब तक गाय के प्रति आदर न हो सेवा भाव न हो तब तक किया हुआ पुण्य फलदायी नही हो सकता हम कहे की हमे गौरव है हम ये करते है वो करते है परंतु अगर गौ नही हो तो कैसे गौरव प्राप्त होगा।जिस थैली में हम जप करते है माला फेरते है सोचिये आज गौ नही हो तो किया हुआ जप निरर्थक है।सबसे अच्छी बेला होती है गौधूलि लेकिन यदि गाय न हो तो गौधूलि कैसे होगी।भगवान स्वयं कहते है कि मैं भी तुम्हे सबकुछ नही दे सकता लेकिन आप गौसेवा करो तो सबकुछ प्रात हो सकता है एक गौसेवा ही ऐसी है जिससे अर्थ धर्म काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थ देने वाले है 18 पुराण 6शास्त्र में गाय की महिमा सर्वोपरि है भगवान ने भी जन्म इनके लिये ही लिया है गौ द्विज धेनु संत हितकारी कृपासिंधु मानुस तनु धारी। अर्थात गायो, ब्राम्हणो और संतो के हितार्थ ही भगवान का अवतार हुआ था। मल मूत्र तो देवताओ का भी पूज्य नही है पर बिना गाये के गोबर के लेपन के कोई यज्ञ में देवता स्थान नही लेते हैं, पहले गाय के गोबर से लिपाई की जाती है यज्ञ कुण्ड की यज्ञशाला की तब देवता आते है सभी को गौपालन करना चाहिए अगर आप गौपालन न कर सके तो अपने आसपास की गौशाला में तन मन और धन से अंशदान देना चाहिए।।।। उक्त उद्गार पंडित श्री रघुनन्दन शर्मा ने होशंगाबाद सरस्वती नगर में महिला भजन मंडली द्वारा आयोजित शिवपुराण की कथा में सप्तम दिन की कथा में व्यक्त किये। कथा का समापन 26 नवम्बर को भंडारे के साथ होगा।कथा में हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हो रहे है।।।