लोकेश मालविया विशेष संवाददाता: होशंगाबाद/पिपरिया: गौवंसो की वर्तमान दशा आज राष्ट्रीय शमश्या बन गयी है । सरकार कितने ही दावे समेत किसानों को समझाइस व योजनाओ की बात करे, लेकिन गौवंशो की वर्तमान स्तिथि अत्यंत दयनीय है जिसमे कोई सुधार ,बदलाव दिखाई नही देता।वर्तमान की स्थिति देखकर आने वाले समय मे गौवंशो की प्रजाति विलुप्त होने का घोर संकट सामने है इसमें भी किसी प्रकार की कोई शंका नही । आमजन से लेकर जनप्रतिनिधियों ओर गौसेवको की भी जिम्मेदारी और जवाबदारी गौवंशो के विषय पर उदासीन करने वाली है । सरकार का नज़रिया फिलहाल स्प्ष्ट नही । लेकिन बात देश मे रहकर देश की इस घोर समश्या पर जनसाधारण की चुप्पी की कही जाए तो भारत की पहचान कहे जाने वाले गौवंश की दशा ही जनसाधारण के नज़रिए को स्प्ष्ट करती है । लेकिन इस देशधरा पर पैदा हुए नागरिक विदेश में अपनी संस्कृति को न भूले इतना शब्द ही तमाचा है पश्चात्यता को अपनाने वालो के लिए । जीहाँ हम बात कर रहे हैं जर्मनी में बसे ओर पिपरिया नगर के प्रतिष्ठित बमोरिया परिवार से सम्बंध रखने वाले दिल्ली निवासी नरेश ठाकुर की NRI नरेश ठाकुर के परिवार ने दूसरी बार पिपरिया के बारीदेवी स्तिथ गौशाला में गौमाता के प्रति प्रेम दिखाते हुए गौसेवार्थ करीब डेढ़ लाख रुपये की राशि दान स्वरूप दी । पिपरिया के प्रतिष्ठित व्यापारी ओर समाजसेवी गौसेवक सचिन जैन के साथ गौशाला पहुँचकर नरेश ठाकुर ने सपरिवार दिनभर गौसेवा करते हुए ये राशि भेंट की । नरेेेश ठाकुर की धर्मपत्नी स्वर्गीय मुकेश बमोरिया (शिक्षक) की बहन और समाजसेवी व व्यवसायी सचिन जैन की गुरु बहन  हैं । नरेश ठाकुर दिल्ली निवासी हैं जो फ़िलहाल जर्मनी की बॉन सिटी में निवासरत हैं । नरेश ठाकुर की फैमिली के साथ जर्मनी निवासी युवती यार्ले भी भारत भृमण पर हैं ।यहां यार्ले कोभी गौसेवा कर  अपार आनंद और आत्मीय शांति का अहसास हुआ । जानकार के अनुसार ये परिवार समय समय पर गौसेवार्थ सेवा हेतु यहाँ आता रहता है ।जो अपने आपमे धर्मार्थ ओर परमार्थ सेवा कही जा सकती है ।

विशेष: पिपरिया की एक मात्र ओर होशंगाबाद जिले की सुव्यवस्थित गौशाला सतगुरु कृपा गौशाला बारीदेवी ग्राम में स्थित है ।पिछले काफी समय से यहाँ गौशाला संचालक युद्धवीर शर्मा अपना जीवन गौसेवा में अर्पण कर STR के  जंगल मे गौशाला बनाकर गौसेवा कर रहे हैं । गौशाला संचालक श्री शर्मा का कहना है हम अपनी क्षमता और गौसेवकों के प्रेम सद्भावना के चलते इस घोर संकट और गौवंशो की दशा पर ये सेवा कर पा रहे हैं। लेकिन गौसंवर्धन बोर्ड, ओर सरकार का गौवंशो के प्रति उदासीन रवैया गौवंशो पर घोर संकट ले आया है, जंगल मे रहकर इसलिये गौमाता के सेवा कर रहे हैं क्योंकि जो प्राकतिक वातावरण ओर चरनोई शहरों में नही मिलता वो गौवंशो को मिल सके लेकिन वन्यविभाग गौवंसो को खुले विचरण पर भी प्रतिबंध लगाए बैठे हैं क्योंकि उनके अनुसार गौवंशो से जंगल प्रदूषित होता हैं। सच ही कहा है..I