संदीप मेहरा पिपरिया-8871972050

होशंगाबाद के बनखेड़ी में एक युवक न्याय के लिए करीब 2 सालों से अलग अलग विभागों के चक्कर काट रहा है,लेकिन उसकी सुनने वाला कोई नही । मामला भी बड़ा विशेष है । जानकारी के मुताबिक बनखेड़ी तहसील के ग्राम मछेराकला निवासी बाबूलाल वल्द मंगल के नाम ग्राम पंचायत द्वारा इंदिरा आवास योजना के तहत साल 2012 में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया बनखेड़ी शाखा में  35000 रुपये खाते में डाल दिए गए ।मामले में रोचक बात ये हैकि हितग्राही की मौत 7 साल पहले याने की 2007 में हो चुकी है। साथ ही हितग्राही का जीवित रहते सम्बंधित बैंक में कोई खाता ही नही था । मामले का खुलासा तब हुआ जब साल 2014-15 में तहसीलदार द्वारा जारी एक नोटिस हितग्राही के घर पहुंचता है, जिसमे प्रथम क़िस्त 35000 रुपये मिलने के बावजूद हितग्राहि द्वारा मकान निर्माण न करने के चलते कार्यवाही की बात कही जाती है । जिसके बाद सेही मृतक बाबूलाल का नाती राजेश 2 साल से न्याय के लिए विभिन्न विभागों में चक्कर काट रहा है । 

मीडिया में मामला उजागर होने के बाद प्रत्येक जिम्मेदार खुलकर कुछभी बोलने से इनकार कर रहे हैं ।साथ ही कुछ अधिकारी महज इसे पंचायत की भूल मान रहे हैं ।

लेकिन जब बोलता शब्द पूरे मामले की पड़ताल की तो सामने आया कि ये भूल नहीं फर्जीवाडा है क्योंकि हितग्राही बाबूलाल की मौत 18 जुलाई 2007 को ही हो गई थी साथ ही नोट बैंक मे खाता खोलने के लिए कोई भी दस्तावेज जमा ही नही हुए फिर भी तत्कालीन बैंक मैनेजर ने खाता खोलने मे रुचि दिखाई ।हमने इस संदर्भ में बैंक मैनेजर से बात की तो वे भी विषय से हटकर वर्तमान में खाता खोले जाने की प्रक्रिया बताने लगे

एक साल पहले विधायक ने जनपद सीईओ को मामले की जांच कर दोषियों पर कार्यवाही करने को भी आदेशित किया । सीईओ ने आनन फानन मे नोटिस भी जारी कर तत्कालीन एवं वर्तमान सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक से स्पष्टीकरण मांगा । लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही सुनिश्चित नहीं की गई । बोलता शब्द की टीम जब पीड़ित के गाँव मछेरा कला पहुँची तो इंदिरा आवास के तहत क़रीब एक दर्जन से अधिक बनने वाले मकान अधूरे पाये गए । पूछने पर हितग्राहियो ने बताया पहली किस्त के बाद राशि मिली ही नही । इस पूरे मामले में तत्कालीन ग्राम पंचायत सचिव की भूमिका सन्देह के घेरे में तो है ही। साथ ही बनखेड़ी जनपद सीईओ श्रुति चौधरी भी संदेह के घेरे में है क्योंकि उनके कार्यकाल में पीड़ित ओर मिडिया के साथ साथ विधायक द्वारा भी मामले को लेकर जानकारी माँगी गयी है लेकिन आज दिनांक तक उनके द्वारा कोई कार्यवाही नही की गई।

हाला की यह तो सिर्फ एक मामला प्रकाश में आया मीडिया के कारण और न जाने ऐसे किनते भ्रष्टाचार होंगे ग्राम पंचायतों में

और न जाने कितने फर्जी बाड़े सामने आ सकते है एक मामले को जोड़ा जा सकता कई और मामलों से