नशे मे और भीख मांगने मे डूबा बच्चों का बचपन
शहर मे कई र-थानों पर बच्चे आजकल 4या5 के झुंड मे जगह -जगह भीख मांगते हुए दिख जाऐगें जैसे रेल्वे र-टेशन बाजारों मे बस र-टापो पर फटे पुराने बदहाली की हालत मे इस चिलचिलाती गर्मी मे बगैर जूते चप्पल के भीख मांगते नजर आ जाऐगें ।यह बच्चे कौन है? इनका भविष्य क्या है क्या इनको पढने का अधिकार नही है अगर बच्चे पढना भी चाहे तो इनके घरवाले मंजूरी नही देते क्योंकि उनका दाना पानी और नशा छिन जाएगा ।यह बच्चे प्रतिदिन भीख मांगते है पेट मे खाना कम और नशा ज्यादा करते है इनका नशा पंचर जोडने वाली लोशन व्हाइटनर पेट्रोल को सूँघकर नशा करते है सरकारें, इनके घरवाले, संगठन, नेतागण, जनप्रतिनिधि ,मीडिया, प्रशासन इनके भविष्य के प्रति क्यो उदासीन रवैया अपनाये हुए है यह बडी अबूझ पहेली बनी हुई है यह नशा इनको बचपन से सीधे बुढापे की ओर धकेल रहा है नशे के आदि होने के कारण इनका शरीर क्या विकास करेगा यह सोचने योग्य बात है ।
शहर मे कुछ ऐसे भी युवक है जो ब्राउन शुगर नशे के आदि है और वह नई -नई घटनाओं को अंजाम देते है याद रहे पिछले कुछ महीने पहले इस नशे का विरोध करने के कारण अपने प्राणों की आहुति देने पडी थी प्रशासन पुलिसकर्मियों को सब पता है कि कौन -कौन इस कार्य मे लिप्त है पर अभी गर्मी का मौसम चल रहा है भाई साथ मे रेत आई पी एल का आखिरी सीजन सब जनप्रतिनिधियों के लिए चुनाव आ रहे है उनकी रूप रेखा तय करना है भाईयों थोडा मानवतावादी मुद्दों को भी प्राथमिकता दो