लोकेश मालवीय विशेष संवाददाता:
किसी की सीख है..
खामोश समंदर ठहरी हवा, तूफ़ां की निशानी होती है।
डर और भी ज्यादा लगता है ,जब नाव पुरानी होती है।।
अनमोल बुजुर्गो की बातें, अनमोल बुजुर्गों का साया ।
उस चीज़ की कीमत मत पूछो, जो चीज़ पुरानी होती है ।।
व्यक्ति ओर व्यक्तित्व का सबसे ज्यादा प्रभाव उम्र पर ही निर्भर होता है । क्योंकि उम्र अनुभव के महाविद्यालय से ली हुई डिग्री होती है । जो निरंतरता हम प्रत्येक में चाहते हैं शायद वो आज नकल के दौर में जीन्स में ही समाहित नही हो पा रही । यही कारण है युग परिवर्तन ,युवा परिवर्तन कर रहा है । हमे चाहिए की हम अपने पुरानी धरोहरों को सहेजें । संभव भी तभी हो पायेगा जब धरोहरों को खंगाला जाए । आसपास नही तो ढूंढा जाए, क्योंकि धरोहरों को सहेजना भीतो बुजुर्गों का काम रहा है । अब दौर नही सहेजने का । ऐसी ही एक धरोहर..पिपरिया पुलिस के पास है जीहाँ इस समय अनुविभागीय अधिकारी(sdop)पिपरिया के पद पर पदस्थ रण विजय सिंह कुशवाह शानदार व्यक्तित्व, ऊर्जावान अनुभवी बुजुर्ग , पैसे से पुलिस विभाग के अधिकारी लेकिन स्वभाव से प्रत्येक के लिए सीखने योग्य अनुभव ।एक ओर हर विभाग के एक दायरे ओर सीमा होती है । लेकिन देखा जाए तो समश्याएं , विवाद ओर परिवाद जो भी हो अगर इन तक कोई भी मसला स्वयं लेकर कोई पहुंचा हो तो वह निदान भी लेकर लौटा होगा ऐसा मेरा मानना है । इस तरह के व्यक्तित्व के धनी ख़ासकर पुलिस जैसे विभाग में शायद ही कही सहज मिलते हो । क्योंकि आपका “हर” एक को दिए जाने वाला समय हर को हर से हर लेता है ।इसलिए “हर” “रण” में “विजय” है आपकी
बोलता शब्द परिवार आपके दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की कामना करता है ।