विशेष
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स्त्री अस्मिता लहूलुहान,मातृत्व सहमा हुआ,
वात्सल्य सिसक रहा,बचपना दुबक रहा, शैशव भी न बच सका नज़रों से हैवानों की !!!
मानवता शर्मसार है……….!!
विश्वगुरु का दर्जा हासिल करने वाला विश्वविख्यात ,विश्व वंदनीय भारत जो अंतरिक्ष को नापने की शक्ति रखता है ,सूर्य समान ही तेजोमय भारत आज बच्चियों और महिलाओं पर होने वाले बलात पाप की अपकीर्ति में दिन प्रतिदिन शर्मसार होरहा है । हम सभी भारतीयों के लिए डूब मरने जैसी बात है ।
अब समय की मांग औऱ अस्तित्व की पुकार है , सख्त क़दम उठाने की आवश्यकता है ।जिससे स्वस्थ मानसिकता वाले मर्यादित
भारत की पुनर्स्थापना हो सके ।

सामाजिक समस्याएं हमारी मानसिक विकृतियों का परिणाम है ।

महिलाओं,और विद्यालयों को अहम भूमिका निभाने की आवश्यकता है !
माँ ,बेटों को जन्म दें तो संस्कार भी ऐसे दें कि मातृत्व शर्मसार न हो !
बेटे को जन्म देने के साथ जिम्मेदारी बढ़ जाती हर माँ की वह स्त्रियों ,बेटियों बहनों का सम्मान करना सिखाए ।

राष्ट्र निर्माण में विद्यालयों की भी अहम भूमिका है।
बच्चों के बदलते आचरण,महिलाओं के बढ़ते हुए अपराध,बढ़ती हुई हिंसा बर्बरता से वर्तमान कराह रहा है।
ऐसे प्रयोग करने की आवश्यकता है जिससे बच्चो के अंदर ऐसे संस्कार दिए जा सकें जिससे स्वस्थ्य मानसिकता वाले भावी नागरिक तैयार हों । मूल्यों को प्राथमिकता देना होगा ।प्राथमिक माध्यमिक स्तर पर अति आवश्यक है।

रोना नहीं डट कर समस्या को खत्म करना होगा !
जड़ से उखाड़ने की आवश्यकता है !
ऐसी जागरूकता की आवश्यकता है समाज में
कि नज़रे प्रश्न पीड़िता से नहीं बल्कि पीड़ा पहुंचाने वाले से करें !!!
और उसे दण्डित करें !!!

संकल्प लेना होगा विद्यालयों को कि स्वस्थ्य मानसिकता वाले भावी नागरिक तैयार करेंगे । जानकारी ,ज्ञान वर्धन के आज अनन्त साधन हैं ।
लेकिन वर्तमान दौर में विद्यालयों की भूमिका बहुत सशक्त होना चाहिए मूल्यों को रोपित,अंकुरित,पल्लवित ,पुष्पित करने में !
जिससे महात्मा गाँधी, विवेकानन्द,वीरशिवा, जैसे युवा तैयार हों !!!!

*संकल्प तो लेना ही होगा*

अगर बदलना चाहते हालात को
आवाज फिर दिल से आनी चाहिए
ठहराव सा आ गया बेटियों का देश में
फिर कोई झांसी की रानी चाहिए
विवेकानन्द ,वीरशिवा ,छत्रसाल
देश को फिर वही जवानी चाहिए

रगिनी स्वर्णकार (शर्मा)
व्याख्याता
इन्दौर