अक्षय तृतीया के दिन मां गंगा में स्नान करने से सब पाप नष्ट हो जाते है आज के दिन ही अन्नपूर्णा माता ने शंकर भगवान को दान दिया था माता आज कुछ भी दान करने से बहुत लाभ होता है अक्षय तृतीया के दिन ही मां गंगा अवतरित हुई थी और अक्षय तृतीया के दिन ही भागवत कथा का अध्याय लिखा गया था इसलिए क्यों आज का दिन खास है भारतीय त्योहारों में अक्षय तृतीया का खास महत्व है. इस दिन को बेहद शुभ माना जाता है. इस साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया यानी अक्षय तृतीया 22 अप्रैल को पड़ रही है. अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयंसिद्ध मुहूर्त है, कोई भी शुभ कार्य का प्रारंभ किया जा सकता है. अक्षय तृतीया का पर्व मुख्य रूप से सौभाग्य के लिए जाना जाता है. इस दिन का महत्व सुंदर और सफलतम वैवाहिक जीवन के लिए सबसे अधिक माना जाता है. आइए ऐसे में जानते हैं कि आखिर क्यों अक्षय तृतीया को मनाया जाता है और इस तिथि में ऐसा क्या है कि इस दिन किए गए हर काम का आपको शुभ फल मिलता है. इस विषय में विस्तार से बता रहे हैं श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान के अध्यक्ष प्रसिद्ध (ज्योतिषाचार्य) गुरूदेव पंडित ह्रदय रंजन शर्मा.
अक्षय तृतीया पर हुए हैं ये शुभ काम
आज ही के दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था.
मां अन्नपूर्णा के जन्म की भी मान्यता है.
मां गंगा का अवतरण हुआ था.
द्रोपदी को चीरहरण से कृष्ण ने आज के ही दिन बचाया था.
कुबेर को आज के दिन खजाना मिला था.
सतयुग और त्रेतायुग का प्रारब्ध आज के दिन हुआ था.
कृष्ण और सुदामा का मिलन भी अक्षय तृतीया पर हुआ था.
ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण.
प्रसिद्ध तीर्थ बद्री नारायण का कपाट आज के दिन खोले जाते हैं.
वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर में श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं अन्यथा सालभर चरण वस्त्रों से ढके रहते हैं.
महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था.
क्यों शुभ है अक्षय तृतीया का त्योहार
: अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है. अक्षय अर्थात जिसका कभी क्षय नहीं हो. माना जाता है कि इस दिन जो भी पुण्य अर्जित किए जाते हैं उनका कभी क्षय नहीं होता है. यही वजह है कि ज्यादातर शुभ कार्यों का आरंभ इसी दिन होता है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन हर तरह के शुभ कार्य संपन्न किए जा सकते हैं और उनका शुभदायक फल होता है. वैसे तो हर माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की तृतीया शुभ होती है लेकिन वैशाख माह की तृतीया स्वयंसिद्ध मुहूर्त मानी गई है. इस दिन बिना पंचांग देखे शुभ व मांगलिक कार्य किए जाते हैं.
इस दिन आरंभ किए गए कार्य भी शुभ फल प्रदान करते हैं. अक्षय तृतीया पर्व अपने आप में अनुभुजा (अनपूछा) मुहूर्त है. इस साल शनिवार को आने व मेष राशि मे चतुरग्रही महासंयोग, साथी वृषभ राशि में स्वग्रही शुक्र उच्च का चंद्रमा स्वग्रही कुंभ राशि में शनि देव होने की वजह से यह अत्यंत मंगलकारी हो गया है.
अक्षय तृतीया के दिन इन कामों का है महत्व
अक्षय तृतीया के दिन विवाह, गृह-प्रवेश, वस्त्र-आभूषणों की खरीदारी जैसे शुभकार्य किए जाते हैं. इस दिन पितरों को किया गया तर्पण और पिंडदान अथवा अपने सामर्थ्य के अनुरूप किसी भी तरह का दान अक्षय फल प्रदान करता है. अक्षय तृतीया के दिन गौ, भूमि, तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, धान्य, गुड़, चांदी, नमक, शहद और कन्या दान करने का महत्व है. इस दिन जितना भी दान करते हैं उसका चार गुना फल प्राप्त होता है. इस दिन किए गए कार्य का पुण्य कभी क्षय नहीं होता. यही वजह है कि इस दिन पुण्य प्राप्त करने का महत्व है. इतनी आज देश दुनिया के लोग अधिक तादाद में पाठ पूजा गंगा स्नान दान एवं खरीदी करते हैं इस दिन हर कार्य शुभ माना जाता है अक्षय तृतीया साल में एक बार आती है इसलिए आज के दिन ज्यादा से ज्यादा लोगों को दान करना चाहिए उन्हें करना चाहिए मां गंगा में स्नान करना चाहिए खरीदारी करना चाहिए यज्ञ करना चाहिए पूजन करना चाहिए भागवत गीता का पाठ करने से भी बहुत पुण्य लाभ मिलता है